दुबई हुआ बारिश में जलमग्न ! प्रकृति से खिलवाड़ पड़ा महंगा ! 75 सालों का रिकॉर्ड बारिश ने तोड़ा ! रेगिस्तान की हवाओं में पानी का सैलाब।

Dubai : अमीरों का शहर कहा जाने वाला संयुक्त अरब अमीरात (UAE) दुबई आज पूरी तरह से जलमग्न हो चुका हैमंगलवार को हुई रिकॉर्डतोड़ बारिश के बाद देश के सभी हिस्सों को भारी बाढ़ का सामना करना पड़ा है। बड़ी बड़ी इमारतों और लग्जरी होटलों में पानी भर गया है लग्जरी कारों को पानी में तैरते हुए देखा जा रहा है।

पिछले कुछ दिनों में बारिश ने दुबई शहर के जन – जीवन को पूरी तरह से ठप कर के रख दिया है। हालात को देखते हुए राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जाएद ने देश के बुनियादी ढांचे के अध्ययन का आदेश दिया है और देश के नागरिकों और निवासियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने तथा भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित सभी परिवारों को सहायता देने और प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का भी आदेश दिया है।

प्रकृति से खिलवाड़ पड़ा महंगा : अभी कुछ दिनों से एक तरह की कृत्रिम बारिश का नाम सुनने को मिल रहा है जिसे विज्ञान की भाषा में क्लाउड सीडिंग कहा जा रहा है। इसे विश्व भर में 50 से ऊपर देशों में आजमाया गया है । सभी देश अपने स्वेच्छा और जरूरत के हिसाब से विभिन्न स्थानों पे क्लाउड शिडिंग का प्रयोग कर रहे है।

कुछ जानकारों की माने तो ऐसा लग रहा है कि दुबई शहर में भी इसी प्रकार की बारिश का प्रयोग किया गया है। इस बारिश ने पिछले 75 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है। आसपास के कई हिस्सों में भारी बारिश का सामना करना पड़ा है जिससे बाढ़ जैसे हालात हो गए है।

प्रकृति अपने अनुसार चलती है और समय समय पर बारिश ,धूप और ठंड जैसे हालात प्रदान करती है लेकिन आज कल विज्ञान का युग है तरह तरह के परीक्षण किए जा रहे है जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ना लाजमी है। हालाकि कुछ हद तक विभिन्न देशों के वैज्ञानिको द्वारा प्रकृति को संतुलित रखा जाए ये कोशिश निरंतर जारी है।

प्रकृति से खिलवाड़ एक न एक दिन महंगा पड़ेगा। जहा रेगिस्तान वाली हवाएं चलती हैं वहा आज पानी का सैलाब उमड़ा है और जन जीवन व्यस्त है।

भारत में आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिको द्वारा क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) के जरिए कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) कराने में बड़ी सफलता हासिल हुई है. आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur)  ने 23 जून 2023  को क्लाउंड सीडिंग के लिए एक परीक्षण उड़ान को सफलता पूर्वक आयोजित किया, जिसके जरिए 5 हजार फीट की ऊंचाई से एक पाउडर गिराया गया जिससे कृत्रिम बादल बन गए. ये परीक्षण नगर विमानन निदेशालय यानी डीजीसीए की अनुमति के बाद ही किया गया था. हालांकि इस दौरान बारिश नहीं हुई क्योंकि इसके लिए फ्लेयर्स को फायर नहीं किया गया था. ये सिर्फ उपकरणों के लिए एक ट्रायल था. ।

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